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Friday, August 8, 2014

सावन का महीना है...रक्षाबंधन भी आने वाली है...

●~~"बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती है पीहर"~~●
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..बेटियाँ.. 
..पीहर आती है.. 
..अपनी जड़ों को सींचने के लिए.. 
..तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ..
..वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन..
..वे रखने आतीं हैं.. 
..आँगन में स्नेह का दीपक..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ..
..ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर.. 
..कि नज़र से बचा रहे घर..
..वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में..
..देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ.. 
..जब भी लौटती हैं ससुराल..
..बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं..
..तैरती रह जाती हैं.. 
..घर भर की नम आँखों में.. 
..उनकी प्यारी मुस्कान..
..जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव.. 
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..

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